How to analyze yourself | खुद का विश्लेषण कैसे करें.

How to analyze yourself | खुद का विश्लेषण कैसे करें.
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 मंजिल भी आपकी रास्ता भी आपका, चलना भी खुद को और चुनना भी खुद को।
  जब करना ही सब खुद को है शाहब तो क्यों ना कुछ हंगामा किया जाए।

क्या हम सही है, चेक करें।
क्योंकि जब कोई और बताता है ना, तो बुरा लगता है, शाहब।
लेकिन, लेकिन जब हम खुद चेक करते हैं तो बुरा नहीं लगता।
और आज आपको एक टूल दे रहा हूं, जिससे हम खुद चेक कर सकते हैं।
मजेदार टूल है।
 एक कहानी के माध्यम से
 मै आपके पास टूल पहुंचता हूं।

प्रसंग है।

जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका के लिए रवाना होते हैं। 
How to analyze yourself | खुद का विश्लेषण कैसे करें.
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जब समुंद्र पर छलांग मारते हैं और छलांग मारते ही शुरू होता है परेशानियों का दौर, चैलेंजिंग दौर। कुछ दूर ही चले कि सुरसा राक्षणी सामने आकर खड़ी हो गई।
उस परेशानी से निपट कर आगे बढ़ते हैं
 कुछ दूर जाते ही शिहिंका ने हनुमान जी को अपने मुख के बन्द कर लिया, अंत में सिहिंका के मस्तक को तोड कर हनुमान जी बाहर निकले। इन सब चुनौतियों को पार करके हनुमान जी लंका पहुंचे। कहानी आप सब जानते ही हैं, इसलिए ज्यादा विस्तार से नहीं बताना चाहता। क्योंकि आज हमारा विषय कुछ अलग है। अगली बार  जब  हम मिलेंगे तो इसके एक एक बिंदु पर पूरा विस्तार से बात करेंगे।
   तो इतनी परेशानियों का सामना करके हनुमान जी माता के पास पहुंचे। उसके बाद वहां का  खेल निपटा के, वापिस बिना किसी बाधा के श्री राम जी के पहुंच गए।
  इसके अलावा दूसरा अध्याय हम देखे 
How to analyze yourself | खुद का विश्लेषण कैसे करें.
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रावण जब माता सीता को उठा कर ले गए। क्या उन्हें कोई दिक्कत आई, किसी परेशानी का सामना करना पड़ा। नहीं...
क्यों
क्यों नहीं करना पड़ा जबकि वो गलत कर रहे थे।
फिर भी किसी ने नहीं रोका।
जबकि हनुमान जी अच्छा कर रहे थे, फिर भी किसीने नहीं रोका।
नेकी का काम कर रहे थे। उनके सामने इतनी परेशानी।
आखिर क्या है ये माजरा यदि इसे आपने समझ लिया
तो ये वो टूल है, जो आपकी सोच को आपके काम को और आपकी लाइफ स्टाइल को 180 डिग्री पर घुमा सकता है।
  ज्यादा सोचने की जरूरत भी नहीं शाहब, हमें सिर्फ चेक करना है और वो भी इसी टूल से।
 जो हम कर रहे है, वो जॉब हो सकती है
कोई भी ट्रेडिशनल बिजनेस हो सकता है। और हम देख रहे हैं कि उसमे यदि कोई दिक्कत नहीं आ रही।
सुबह 9 बजे जाना शाम को 5 बजे आना।
खाना सोना फिर सुबह जाना शाम को आना।
कभी सोचा है
किसी दिन नहीं गए तो
जाने लाइक नहीं रहे तो
या वक़्त से पहले यहां से जाने का नंबर आ गया तो
क्या होगा, उन बूढ़े मा बाप का, क्या होगा उन छोटे छोटे बच्चो का, क्या होगा उस पत्नी का, जो सब कुछ छोड़कर आपके पीछे आई है।
 तेरे ना होने के बाद भी उनका भविष्य सुनहरा गुजरे, उनके पास पैसा आता रहे, क्या तूने ऐसा कुछ किया है। सोचा, सोचकर देखे, जो हम कर रहे है, क्या हमारे जाने के बाद भी हमारा परिवार सुरक्षित है?
हमारे बच्चो का भविष्य सुरक्षित है, कभी सोचा इस बारे में, या बस लगे हुए है, भेड़ - चाल में।
  तो सोचले शाहब अपना पेपर हमें खुद ही चेक करना है।
हम कोनासी ग्रेड में है
#   इस टूल में 2 ही ग्रेड हैं
हनुमान जी यानी सही रास्ता, जो बाधाओं से भरा है।
और
रावण यानी आप समझ सकते हैं, जिसमें कोई परेशानी नहीं आती।
  दूसरा यदि आप कुछ दुनिया से अलग कर रहे, लोगों के ताने सुन रहे हैं, मुसीबतें झेल रहे हैं। लेकिन फिर भी आप डटे हुए हैं।
 तो शाहब अपनी पीठ खुद थपथाए। और कहे अपने आप से कि मै सही रास्ते पर चल रहा हूं क्योंकि सही रास्ते पर चलने वालों के सामने ही परेशानियों आती हैं।

दूसरा पैटर्न हम देखते हैं
  कि यदि हमने रास्ता नहीं बदला तो हमारा आने वाला भविष्य कैसा होगा।
 गौर करते हैं उसी टूल से
  हनुमान जी अपने लक्स को ध्यान में रखते हुए सभी बढ़ाओ से लड़ते हुए, चुनौतियों से डटकर मुकाबला करते हुए, आगे बढ़े। अंत में अपनी मंजिल फतह की।


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उसके बाद जब वो वापिस लौटे तो हर्सोल्लास के साथ उनका स्वागत हुआ, और उनका नाम आज सभी देवो में श्रेष्ठ माना जाता है।

 वहीं रावण ने जब शुरुआत की सीता जी को उठा कर ले गए कोई दिक्कत नहीं आई।
लेकिन अंत, उनका भविष्य आप सबके सामने है।

सोचना आपको है चुनौतीपूर्ण रास्ता अपना कर हनुमान जी की तरह हर्सोल्लास से अपना भविष्य बिताना चाहते हैं
या आरामदायक काम चुनकर  भविष्य अपना व अपने बच्चो लिए रावण की तरह उजड़ी लंका जैसा छोड़कर जाना चाहते।
फैसला आपके हाथ।
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मंजिल भी आपकी रास्ता भी आपका, चलना भी खुद को और चुनना भी खुद को।
जब करना ही सब खुद को है शाहब तो क्यों ना कुछ हंगामा किया जाए।