पीरियड्स यानी मासिक धर्म
periods or menstruation |
periods or menstruation
पीरियड्स यानी मासिक धर्म किसी भी लड़की या महिला की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन हम लोग इस विषय पर खुलकर बात करने से बचते हैं, मानो यह कोई गुनाह हो। पीरियड्स से जुड़ी तकलीफों और गलतफहमियों से कैसे पाएं निजात,मेन्स्ट्रूअल साइकल, महीना, मासिक धर्म, पीरियड्स को लड़कियां आम बोलचाल में डाउन भी कहती हैं। यह लड़कियों में होने एकदम सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। यह उतनी ही कुदरती है, जितना कि नाक का बहना। जन्म के वक्त से ही किसी भी लड़की की ओवरी या अंडाशय में पहले से लाखों अपरिपक्व अंडे मौजूद होते हैं। 12 से 15 साल की उम्र होते-होते ओवरी में से दसियों अंडे महीने में एक बार विकसित होने शुरू हो जाते हैं। इसके लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नाम के हॉर्मोन जिम्मेदार होते हैं। इस उम्र में लड़कियों के शरीर में कई बदलाव भी आते हैं, जैसे ब्रेस्ट और हिप्स का साइज बढ़ना। यह बेहद सहज प्रक्रिया है वैसे ही, जैसे कि छोटे बच्चे के दांत निकलना या उसका पहली बार चलना।
किस कितने प्रकार के होते है. जानने के लिए क्लिक करेें
हर मां अपना धर्म निभायेंगी तो आने वाली पीढ़ी को नही होगी तकलीफ ।
मां को 9-10 साल की उम्र में बेटी को इस बारे में जानकारी दे देनी चाहिए ताकि
पीरियड्स शुरू होने पर उसे पहले से इस बारे में पता हो और वह तनाव का सामना करने से बच जाए। उसे यह भी बताएं कि यह बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है और यह जरूरी है। बच्ची के स्कूल बैग में पैड रखना चाहिए और उसे इसकी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों में टीचर्स को भी इसे लेकर संवेदनशील होना चाहिए। स्कूल में भी पैड और पेनकिलर मुहैया होने चाहिए।
पीरियड्स शुरू होने पर उसे पहले से इस बारे में पता हो और वह तनाव का सामना करने से बच जाए। उसे यह भी बताएं कि यह बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है और यह जरूरी है। बच्ची के स्कूल बैग में पैड रखना चाहिए और उसे इसकी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों में टीचर्स को भी इसे लेकर संवेदनशील होना चाहिए। स्कूल में भी पैड और पेनकिलर मुहैया होने चाहिए।
1. साफ कपड़ा या पैड इस्तेमाल करें ।
सबसे जरूरी है कि आप साफ कपड़े या पैड का इस्तेमाल करें। अगर बाजार से सैनिटरी पैड्स नही खरीद रही हैं तो उसकी क्वॉलिटी में समझौता न करें। घर के पुराने कपड़े का इस्तेमाल करने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते कपड़े को अच्छी तरह धोकर धूप में सुखाया गया हो।
2. पैैड को समय पर बदले ।
कपड़े या पैड को दिन में कम-से-कम 3 बार बदलें। पीरियड्स के शुरुआती दिनों में जब खून का बहाव ज्यादा होता है तो तो 4-6 बार पैड बदलें। कई बार देखा गया है कि पीरियड्स के आखिरी दिनों में एक ही पैड 12-12 घंटे तक रह जाता है। ऐसा करने से प्राइवेट पार्ट के अंदर और आसपास बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं। बदबू भी आती है।
3. एक्सरसाइज करते समय इन बातों का ध्यान रखें ।
पीरियड्स के शुरुआती 2-3 दिन तेज डांस या एक्सरसाइज न करें। हां, दर्द न हो तो नॉर्मल वॉक और सूक्ष्म क्रियाएं कर सकती हैं, जैसे कि गर्दन, कलाइयों, हाथों और पैरों का मूवमेंट आदि। कपालभाति या पेट अंदर-बाहर करने या उठने-बैठने वाले आसन नहीं करने चाहिए और अपने शरीर को आराम देना चाहिए। इस दौरान अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम और ध्यान करना बेहतर है। इनसे तनाव कम होता है।
4. पैड को लेकर सावधानी बरते ।
घर या स्कूल-कॉलेज में किसी कागज या पुराने अखबार में लपेटकर फिर पॉलीथिन में रैप कर डस्टबिन में डालें। पैड या कपड़े को कभी भी खुले में न फेंके क्योंकि इससे इन्फेक्शन का खतरा रहता है। इसी तरह इसे कमोड या नाली में न बहाएं क्योंकि इससे कमोड जाम हो जाएगा। इस्तेमाल किए कपड़े या पैड को खुले में ना जलाएं लेकिन इनसिनरेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनसिनरेटर का चलन दफ्तरों में बढ़ा है। यह एक इलेक्ट्रिक मशीन है जिसमें वेस्ट मटीरियल को तेज तापमान पर जलाया जाता है। इसका इस्तेमाल कपड़े या पैड को जलाने के लिए भी किया जाता है और यह प्रदूषण नहीं फैलाता। मशीन की क्षमता साइज के हिसाब से होती है और एक तय सीमा (जैसे 200 पैड्स) तक भरने के बाद इसे ऑन किया जाता है। इसकी कीमत 5 हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक होती है।
5. पीरियड्स के दौरान सेक्स।
पीरियड्स के दौरान शरीर में थकान और दर्द होता है। ऐसे में सेक्स न करना ही बेहतर है। अगर दर्द न हो तो भी सेक्स नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दौरान प्राइवेट पार्ट की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। ऐसे में सेक्स के दौरान दर्द हो सकता है और दोनों पार्टनर्स को इन्फेक्शन का खतरा रहता है। पीरिड्स के आखिरी दिनों में सेक्स संबंध बनाए जा सकते हैं, लेकिन कॉन्डम का इस्तेमाल करें। असुरक्षित सेक्स न करें। हालांकि बेहतर है कि पूरे पीरियड्स के दौरान संबंध न बनाएं। वैसे, एक मिथ यह भी है कि पीरिएड्स के दौरान सेक्स करने से पुरुषों की सेक्स क्षमता कम होती है। दूसरा मिथ यह है कि अगर
पीरियड्स में सेक्स किया तो प्रेग्नेंसी के चांस कम होते हैं लेकिन यह सही नहीं है। इस दौरान सेक्स करना भी पूरी तरह सेफ नहीं है।
पीरियड्स में सेक्स किया तो प्रेग्नेंसी के चांस कम होते हैं लेकिन यह सही नहीं है। इस दौरान सेक्स करना भी पूरी तरह सेफ नहीं है।
सेक्स पॉवर कैसे बढाये. जानने के लिए क्लिक करेें
7. पेनकिलर ले सकते हैं।
शरीर में बहुत थकान और बुखार जैसा महसूस हो रहा है तो पैरासिटामॉल ले सकते हैं, जोकि क्रोसिन (Crocin), कालपोल (Calpol) आदि नाम से बाजार में मिलती है। हर 6 घंटे में एक गोली ले सकते हैं। पेट के निचले हिस्से, कूल्हे और कमर में तेज दर्द हो रहा है तो मेफटल-स्पास (Meftal Spas) या डी-साइक्लोमाइन (Dicyclomine) जोकि एब्डोसिन (Abdocin D), अमीगो (Amigo), पिपकोल (Pipcol) आदि नाम से मिलती है, इस्तेमाल कर सकते हैं। ज्यादा दर्द होने पर दिन में 3 बार गोलियां ले सकते हैं। दर्द लगातार बना रहे तो डॉक्टर को दिखाएं ।
आईये जानते हैं किसका क्या है फायदे और क्या हैं नुकसान और क्या है कीमत ।
1. कपड़ा
पुराने कपड़े का इस्तेमाल करने से पहले यह देखना जरूरी है कि कपड़ा साफ, मोटा और मुलायम हो, जैसे सूती चादर या साड़ी।
फायदाः इसे धोकर और सुखाकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
नुकसानः अगर कपड़ा गंदा रहा तो इंफेक्शन के पूरे चांस हैं और हमारे देश में यह आम समस्या है। इसकी ब्लड सोखने की क्षमता कम होती है। यह खिसक जाता है इसलिए ज्यादा मूवमेंट नहीं कर सकते। हालांकि, इसका उपाय कुछ एनजीओ ने निकाला है और वे पीरिएड्स के लिए कपड़े के ऐसे पैड बनाते हैं, जिनमें पीछे से फिक्स करने लिए हुक बना हो।
कीमतः घर के ही पुराने कपड़े का इस्तेमाल कर रही हैं तो कोई खर्च नहीं होगा।
2. सैनिटरी पैड
सैनिटरी पैड फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद बनने शुरू हुए। जख्मी सैनिकों का ब्लड सोखने के लिए मोटी रुई का इस्तेमाल किया जाता था। नर्सों को यह आइडिया अच्छा लगा और उन्होंने इसे खुद पर पीरिएड्स के दौरान इस्तेमाल किया। इसके बाद कंपनियों ने सैनिटरी पैड बनाने शुरू किए। जरूरत के हिसाब से ज्यादा ब्लड सोखने वाला, खास तरह की फ्रेग्रेंस (खुशबू) वाला पैड इस्तेमाल किया जा सकता है।
फायदाः सैनिटरी पैड मेडिकेटेड होता है इसलिए बिल्कुल सेफ है। यह खिसकता नहीं है। इससे लाइफ काफी आसान हो गई है।
नुकसानः इसे दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकते। कई पैड के अंदर बीच में पन्नी जैसा मटीरियल लगा होता है। इसे पूरी तरह नष्ट करना मुमकिन नहीं होता।
कीमतः कम-से-कम 40 रुपये में 6 पैड्स का पैक। क्वॉलिटी और साइज बढ़ने पर कीमत ज्यादा होती है। इनमें विस्पर (Whisper), स्टेफ्री (Stayfree), सोफी (Sofy) आदि कुछ बड़े ब्रैंड हैं।
3. मैनस्ट्रुअल पैंटी (पीरिएड्स पैंटी)
मेन्स्ट्रुअल पैंटी उन छोटी लड़कियों के लिए बेहद काम की है जिन्हें पीरियड्स हाल में शुरू हुए हैं। यह पैंटी मदद करती हैं क्योंकि इसमें पहले से ही कपड़े की एक मोटी लेयर लगी होती है, जो ब्लीडिंग को सोखती है। हमारे देश में अभी शुरुआत हुई है और ऑनलाइन खरीद सकते हैं। थिंक्स (Thinks), वकोल (Wacoal) और अडीरा (Adira) नाम के ब्रैंड्स प्रमुख हैं।
फायदाः कोई झंझट नहीं। जैसे पैंटी को पहनते हैं, वैसे ही पहनना होता है।
नुकसानः हेवी ब्लीडिंग में काम नहीं करती। इसके इस्तेमाल से पैड यूज करने की आदत खत्म हो जाती है।
कीमतः 200 से 300 रुपये तक ।
4. टैम्पून
टैम्पून बड़े शहरों में ही मिलते हैं। टॉयलेट सीट या स्टूल पर बैठकर टैम्पून के ऊपरी हिस्से को धीरे-धीरे वजाइना के अंदर डालना होता है। इसे 4 से 6 घंटे के बाद बदलती रहें। जब बदलना हो तो स्ट्रिंग या धागे को खींच कर टैम्पून को बाहर निकाल दें।
फायदाः पैड या कपड़े से होनेवाला भारीपन नहीं रहता। पैड के लगातार इस्तेमाल से आनेवाली बदबू इसमें नहीं आती। इससे मूवमेंट और आसान रहता है और गीलापन महसूस नहीं होता। कुछ टैम्पून को तो टॉयलेट में फ्लश भी किया जा सकता है।
नुकसानः कई लड़कियों के लिए टैम्पून को वजाइना के अंदर डालना दर्दभरा अनुभव हो सकता है। हो सकता है कि यह वजाइना की अंदरूनी मांसपेशियों को सूट न करें। हाल में एक रिपोर्ट में टैम्पून को सेहत के लिए नुकसानदेह बताया गया था। जिस मटीरियल से इसे बनाया जाता है, उससे हेल्थ के कई रिस्क हो सकते हैं।
कीमतः 350 रुपये से शुरुआत है। बड़े शहरों की केमिस्ट शॉप पर मिल सकता है। ऑनलाइन खरीदना हो तो हेलेन हार्पर (Helen Harper), टैम्पैक्स (Tampax) आदि ब्रैंड्स मौजूद हैं।
5. मेन्स्ट्रूअल कप ( मासिक धर्म कप )
मेन्स्ट्रुअल कप्स टैम्पून का अडवांस्ड वर्जन है, जो सिलिकॉन से बनता है और इसमें अभी तक हेल्थ रिस्क मामले सामने नहीं आए हैं। इसे भी वजाइना के अंदर डालकर फिक्स करना होता है। ब्लड भर जाने के बाद इसे सिंक में धोकर दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।
फायदाः इसे अब तक का सबसे बेहतर विकल्प माना गया है। कप को लगाकर आप स्वीमिंग भी कर सकती हैं, जोकि किसी दूसरे प्रोडक्ट के साथ मुमकिन नहीं है। इसे बैग में रखना भी आसान है।
नुकसानः शुरुआत में कप को वजाइना में डालना असहज हो सकता है। अपने प्राइवेट पार्ट के मुताबिक सॉफ्ट या हार्ड कप खरीदे। हालांकि, हार्ड कप इसलिए बेहतर हैं क्योंकि ये बेहतर फिक्स हो जाते हैं।
कीमतः मेन्स्ट्रुअल कप की कीमत 300 से 1200 रुपये तक है। यह शुरू में महंगा लग सकता है, लेकिन यह एक बार का इन्वेस्टमेंट है। इसे आप बरसों तक इस्तेमाल कर सकती हैं। लंबे अरसे में पैड के मुकाबले यह सस्ता पड़ा है। सिल्की (Silky), ओरियन (Orean) जैसे ब्रैंड्स ऑनलाइन मौजूद हैं। मेडिकल स्टोर में भी कप आने शुरू हो चुके हैं।
पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम कैसे करे ?
periods or menstruation |
1. हॉट वॉटर बैग में गर्म पानी भरकर पेट, पीठ और दोनों जांघों के बीच सिकाई करें। गुनगुने पानी से नहाने से भी आराम मिलता है। रात को सोते वक्त घुटनों के नीचे तकिया रखने से दर्द में राहत मिलती है।
2. अदरक या शहद डालकर चाय पीने से दर्द में आराम मिलता है और यह शरीर में पानी बनाए रखकर खून की कमी से लड़ने में भी मदद करता है।
3. एक प्याज का रस निकालें और एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर लें। इससे खून का दौरा बढ़ता है, जिससे यूटरस की मसल्स को आराम मिलता है।
4. इस दौरान रोजाना एक चम्मच मेथी के दाने रातभर भिगोकर सुबह खाएं। दूध में हल्दी डालकर पीने से भी दर्द में फायदा होता है ।
PMS यानी प्री मेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम एक शारीरिक और भावनात्मक बदलाव की वह प्रक्रिया है जो माहवारी से करीब 2 हफ्ते पहले शुरू हो जाती है। इस दौरान ब्रेस्ट और प्राइवेट पार्ट का नाजुक होना और शारीरिक थकान आम है। साथ ही, महिलाओं और लड़कियों के मूड पर भी खासा असर पड़ता है, जैसे चिड़चिड़ापन, ज्यादा गुस्सा आना या किसी बात को लेकर अति संवेदनशील हो जाना, कुछ भी अच्छा न लगना आदि। इन सारे लक्षणों के लिए फीमेल हॉर्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन जिम्मेदार होते हैं। हालांकि थोड़ा असर सायकॉलजिकल भी होता है। मसलन आपको पता है कि पीरिएड्स होने वाले हैं तो आप सतर्क हो जाती हैं। हां, अगर बहुत ज्यादा डिप्रेशन या चिड़चिड़ापन हो तो डॉक्टर की सलाह लें। इस दौरान खाने-पीने और सोने का खास ख्याल रखें और अपने पसंदीदा काम करें ताकि मूड अच्छा रहे।
माहवारी या मेन्स्ट्रुअल साइकिल के 5 फेज होते हैं। ये पांच फेज लड़कियों के मूड पर काफी असर डालते हैं।
आइए जानते हैं कि महीने के किस फेज में आपका कैसा मूड होगा :
- - पीरियड फेज (1-5 दिन) : रिसर्च की मानें तो इन दिनों के दौरान आमासिक धर्म कपपके शरिर में एस्ट्राडियोल नाम का केमिकल बढ़ने लगता है। इस केमिकल का आपके शरीर में बढ़ना आपकी बॉडी में स्ट्रेस के हार्मोन के प्रभाव को कम करता है और इस दौरान आप कितनी भी तकलीफ में हों आपका मूड अच्छा ही रहता है।
- - फॉलिक्यूलर फेज (6-10 दिन) : फॉलिक्यूलर फेज में महिलाएं लोगों से ज्यादा सहानुभूती रखती हैं. इस फेज में औरतों की बॉडी में प्रोजेस्ट्रोन नाम का हार्मोन कम हो जाता है जिसके कारण आप किसी की भी बात को संजीदगी से समझ सकते हैं।
- - ओव्यूलेशन फेज (11-15 दिन) : इस फेज में आप सबसे ज्यादा कामुक महसूस करते हैं। महिलाओं के शरीर में इस फेज में एस्ट्रोजन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है जो उन्हें ओव्यूलेशन के लिए भी तैयार करता है। और इसी कारण से इस फेज में महिलाएं कामुक और अधिक मिलनसार महसूस करती हैं।
- - लूटियल फेज (16-22 दिन) : ये वो फेज है जब महिलाएं सबसे ज्यादा शांत रहती हैं। महीने के 16 वें दिन महिलाओं का शरीर एग रिलीज करता है। इस दौरान प्रोगेस्ट्रोन नाम का हार्मोन बढ़ने लगता है जिसके कारण महिला काफी शांत महसूस करती हैं।
- - लूटियल फेज का अंत (23-28 दिन) : PMS यानी की पीरियड होने से एक हफ्ता पहले वाला फेज। इस दौरान प्रोगेस्टेरोन हार्मोन का लेवल महिलाओं के शरीर में बढ़ने लगता है। इसी की वजह से महिलाएं इस फेज में काफी मूडी हो जाती हैं।
पीरियड्स का दर्द कब हो जाता है दर्द कम।
मां बनने के बाद पीरियड्स का दर्द कम हो जाता है। ऐसा इसलिए है कि सेक्सुअल एक्टिविटी बढ़ने और डिलिवरी के बाद सर्विक्स खुल जाता है और माहवारी के दौरान ब्लड को निकलने में आसानी होती है। दर्द की समस्या किशोर उम्र की लड़कियों को ज्यादा होती है। 40 पार होने या मिनोपॉज की उम्र आने लगे और पीरियड्स को लेकर दर्द हो तो डॉक्टर से मिलें क्योंकि इस उम्र में दर्द की वजह इंफेक्शन या कोई बीमारी भी हो सकती है। इस उम्र में दर्द और किशोरावस्था में दर्द के कारण अलग-अलग होते हैं।
पीरियड्स के समय को आगे बढ़ाना हो तो क्या करें ?
अगर घर में कोई बड़ा फंक्शन, पूजा-पाठ या फिर अहम एग्जाम आदि हो तो कई बार लड़कियां पीरियड्स की डेट को आगे बढ़ाना चाहती हैं। इसके लिए दवा लेनी पड़ती है। इसके लिए नॉरेथिस्टेरॉन (Norethisterone) सबसे कॉमन दवा है, जो मार्केट में एमीनोव (Amenov), अल्ट्रोन क्रोनर (Altron Croner) आदि नाम से मिलती है। 30 रुपये में 10 टैब्लेट्स आती हैं। इसे पीरियड्स की डेट से कम-से-कम 1 हफ्ता पहले लेना शुरू कर दें और 1 दिन में एक बार खाएं। हालांकि, कोशिश करें कि पीरियड्स को आगे करने की दवा बार-बार न लें। बहुत जरूरी होने पर ही इसका इस्तेमाल करें। कई बार देखा गया है कि इस तरह की दवा लेने से कई दिनों तक माहवारी नहीं होती और जब होती है तो बहुत तेज दर्द होता है।
पीरियड्स के दौरान खाने मे सावधानी रखें ।
periods or menstruation |
पीरियड्स और उससे पहले के प्री-मेन्सट्रुअल सिंड्रोम के दौरान खाने का खास ख्याल रखें। इस सिंड्रोम में बार-बार मूड बदलना, चिड़चिड़ेपन के साथ-साथ चटपटा खाने की इच्छा बढ़ जाती है। इस दौरान ताजे फल, सब्जियां आदि ज्यादा खाएं। ज्यादा चीनी और नमक के साथ-साथ तली-भुनी चीजों से भी परहेज करें और एक बार में ज्यादा न खाएं। जंक फूड कतई न खाएं और पानी खूब पिएं। इससे कई तरह के लक्षणों से लड़ने में मदद मिलती है।
1. अगर मीठा खाने का मन करें तो फल खायें ।
मिठाई या पेस्ट्री के बजाय फल जैसे सेब, अनार, संतरा आदि खाएं। इनसे शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है। डार्क चॉकलेट मूड को बदलने और चिड़चिड़ापन कम करने में मदद करती है।
2. खाने में विटामिन और आयरन का विशेष ध्यान रखें ।
विटामिन ई की कमी दूर करने के लिए अंडा लें। आलू से मिलने वाला विटामिन बी6 खून की क्लॉटिंग यानी थक्कों को कम करता है, वहीं विटामिन सी वाले फल जैसे कि नींबू और संतरा आदि दर्द को कम करने में मदद करते हैं। विटामिन ए के लिए हरी और पत्तेदार सब्जियां खाएं ताकि शरीर में खून की मात्रा बढ़े।
3. चाय औऱ कॉफी ज्यादा न पिएं ।
दर्द को भगाने के लिए दिन में 2-3 बार अदरक और तुलसी वाली चाय पी सकते हैं लेकिन ज्यादा न पिएं। कैफीन की ज्यादा मात्रा आपकी तकलीफ को बढ़ा सकती है। वैसे, भी इस दौरान एसिडिटी और कब्ज होना आम है।
4. जरूरी फैटी एसिड्स खाने मे जरूर लें ।
शरीर में होने वाली ऐंठन से निजात दिलाने के लिए जरूरी फैटी एसिड्स का सेवन जरूरी है। मछली, लौकी, सूरजमुखी के बीजों आदि में फैटी एसिड्स अच्छी मात्रा में मिल सकता है।
1. पीरियड्स में मंदिर जाना मनाा क्यो ?
पीरियड्स के दौरान मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च या किसी भी धार्मिक स्थान पर जाने की मनाही होती है। हालांकि, यह मनाही कब और कैसे शुरू हुई, इसके बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। आज भी 99 फीसदी लड़कियां और महिलाएं पीरियड्स के दौरान पूजा-पाठ नहीं करतीं क्योंकि इस दौरान वे खुद को ‘अपवित्र’ मानती हैं। यह धारणा पढ़े-लिखे और मॉर्डन परिवारों की भी है। हालांकि यह पूरी तरह गलत है।
2. खाना बनाना मना क्यो ?
कई घरों में पीरियड्स के दौरान लड़कियों को रसोई में घुसने नहीं दिया जाता। यह थिअरी पूरी तरह बकवास और दकियानूसी है। पीरियड्स में किचन में जाने और खाना पकाने से कोई अशुद्धता नहीं फैलती।
3. अचार को छू नही सकतीं क्यों ।
कहा जाता है कि पीरियड्स के दौरान अगर अचार के डिब्बे को छू लिया तो सारा अचार खराब हो जाएगा लेकिन किसी भी रिसर्च या लैब में यह बात साबित नहीं हुई कि पीरिड्स में अचार छूने से वह खराब होता है। हां, पीरियड्स में अचार खाना कम कर देना चाहिए क्योंकि इस दौरान तेल और मसालेदार चीजें पाचन क्रिया को खराब कर सकती हैं।
4. बाल नहीं धोने चाहिए क्यों ।
अक्सर लड़कियों को बताया जाता है कि पीरियड्स के पहले दो दिन बाल नहीं धोने चाहिए। इस सलाह का कोई आधार नहीं है। इसके उलट गुनगुने पानी से अच्छी तरह नहाने से
पीरियड्स के दर्द से राहत मिल सकती है।
पीरियड्स के दर्द से राहत मिल सकती है।
5. पौधों को पानी नहीं देना चाहिए क्यों ।
दकियानूसी बातों में यह भी शामिल है कि पीरियड्स में पौधों को पानी नहीं देना चाहिए खासकर अगर तुलसी और पीपल को। जी नहीं, तुलसी या कोई भी पौधा पानी देने से नहीं, बल्कि पानी न देने से मुरझा सकता है।
6. अलग कमरे में सोएं क्यों ।
कई घरों में आज भी पीरियड्स के वक्त लड़की को अलग कमरे में अकेले रहने को कहा जाता है। इस दौरान खुद खाना पकाना होता है और बिस्तर के बजाय जमीन पर चटाई बिछाकर सोना होता है। यह अमानवीयता की इंतेहा है। इसके उलट लड़कियों को पीरियड्स में आरामदायक बिस्तर पर सोना चाहिए और दूसरों लोगों से घुलने-मिलने से इस दौरान होनेवाली तकलीफ या मानसिक बदलावों से निपटना भी आसान होता है।
7. पीरियड्स के खून से होता है जादू-टोना ।
पीरियड्स का खून नापाक है और इसलिए इससे काला जादू भी किया जा सकता है, इस तरह की फिजूल बातें सिर्फ गांवों में ही नहीं, बल्कि शहरों के पढ़े-लिखे लोग भी करते हैं। विश्वास नहीं होता तो बॉलिवुड ऐक्ट्रेस कंगना रनौत के एक्स बॉयफ्रेंड अध्ययन सुमन की बातें याद करें। उन्होंने आरोप लगाया था कि कंगना उन पर जादू-टोना करने के लिए अपने ‘नापाक’ खून का इस्तेमाल करती थीं।
6 Comments
Superb post for girls...
ReplyDeleteYes sir
DeleteImportant post all girls..
ReplyDeleteSorry sir, everyone should know about this so that neither we have problems nor our loved ones
Deleteलड़कियों को अपने मासिक धर्म में होने वाली सावधानियां , बचाव, के लिए इस पोस्ट को अवश्य पढ़ना चाहिए।
ReplyDeleteसॉरी सर, सबको इस बारे में पता होना चाहिए ताकि न तो हमें दिक्कत हो और न ही हमारे प्रियजनों को
DeletePost a Comment