Neenrana Fort | नीमराना किला

Neenrana Fort | नीमराना किला
 Neenrana Fort | नीमराना किला 

 नीमराणा राजस्थान का उभरता हुआ औधोगिक क्षेत्र है। दिल्ली से जयपुर जाने वाले हाईवे पर दिल्ली से मात्र 122 किमी दूर है। यहाँ अरावली पर्वतमाला के पहाड बिखरे हुए है। नीमराना फ़्लाइंग फ़ॉक्स रोमांच प्रेमियों के लिये एक जाना-पहचाना नाम बन चुका है। यह गतिविधी नीमराना किले से ही संचालित होती है।

नीमरान किले का इतिहास 

नीमराना किले का इतिहास – Neemrana Fort History


निमोला मे वहा का मुखिया था उसके नाम पर से इस किले को नीमराना नाम दिया गया। लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने उस मुखिया को हरा कर शहर को अपने कब्जे में लिया था। हारने के बाद उस मुखिया ने एक बात बताई थी की उसका नाम इस किले को दिया जाए।

तब पृथ्वीराज चौहान ने उसकी बात मान ली और शहर को उसका नाम दे दिया।

सन 1464 में निर्माण किये गए किले को पृथ्वीराज चौहान 3 के उत्तराधिकारी राजधानी के रूप में इस्तेमाल करते थे।

सन 1192 में पृथ्वीराज चौहान को मोहम्मद ग़ोरी ने हराया था। लेकिन जब भारत में अंग्रेज का शासन था तो चौहान के उत्तराधिकारी की ताकत कम पड़ गयी थी लेकिन उन्होंने कभी भी अंग्रेजो के सामने हार नहीं मानी थी।

सन 1947 में राजा राजिंदर सिंह ने नीमराना किले को छोड़ दिया और विजयबाग को एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करने का सोचा था। राजा राजिंदर सिंह ने करीब चालीस सालों तक इस किले को बेचने के लिए खरीदार की राह देखी थी।

आखिरकार 1986 में इस किले की मरम्मत की गयी। सन 1991 में इस किले को लोगो को देखने के लिए खुला किया गया और उसमेसे 15 कमरों में लोगो को रहने के लिए इजाजत भी दी गयी।

उस समय इस किले को ‘इन्ताच सत्ते’ पुरस्कार दिया गया और साथ ही आगा खान पुरस्कार के लिए नामित भी किया गया।

2008 तक यह किला एक महल का रूप ले चूका था और इसमें 72 कमरे भी बनवाये गए थे, कई सारे हैंगिंग गार्डन्स, रेस्टोरेंट और काफी बड़े बड़े तालाब भी इसमें बनवाये थे। एक समय में यह किला पूरी तरह से खंडहर बन चूका था लेकिन अब यह किला एक भव्य और सुन्दर महल का रूप ले चूका है।

नीमरान किले का इतिहास
नीमरान किले का इतिहास 

नीमराना फोर्ट पैलेस के बारे में रोचक तथ्य: (Interesting facts about Neemrana Fort Palace Rajasthan)


•      10 मंजिला इस विशाल किले को तीन एकड़ में अरावली पहाड़ी को काट कर बनाया गया है। यही कारण है कि इस महल में नीचे से ऊपर जाना किसी पहाड़ी पर चढ़ने का अहसास कराता है।
इस फोर्ट के निर्माण में मुगलकालीन और राजंपूताना वास्तुकला शैली का मिश्रण साफ़ दिखाई पड़ता है। इसके अलावा महेल की भीतरी साज-सज्जा में अंग्रेजों के दौर की छवि भी देखी जा सकती है।
यह पैलेस बहरोड़ और शाहजहांपुर के बीच में स्थित है। इसे राथ क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।
भारत सरकार द्वारा इस किले को साल 1986 में हेरिटेज रिसोर्ट के रूप में तब्दील कर दिया गया है। ऊंची पहाड़ी पर स्थित नीमराना किला-हवेली के आस-पास सौंदर्य का आलीशान दृष्टिकोण इस स्थान को ओर भी आकर्षक बना देता है।
दस मंजिल ऊँचे इस पैलेस में कुल 50 कमरे हैं। यहां बने नजारा महल और दरबार महल में कॉन्फ्रेंस हाल है। पैलेस में बदले इस किले में कई रेस्टोरेंट बने हुए हैं। इस पैलेस में ओपन स्विमिंग पूल भी बना है।
इस किले की खास बात यह है कि, यहां पर बने हर कमरे को अलग-अलग नाम दिया गया है। अगर आप किले में राजसी ठाठ का आनंद लेना चाहते हैं, तो मामूली शुल्क देकर पर्यटक दो घंटे के लिए महल की भव्यता का लुत्फ उठा सकते हैं, लेकिन सिर्फ ये कमरें दिनभर के लिए उपयोग कर सकते हैं रात्रि के समय इन कमरों को किराये पर नहीं दिया जाता है।
ऊँचे पहाड़ पर बने होने के कारण ज्यादातर कमरों की बालकनी से आसपास की भव्यता का पूरा आनंद उठा सकते है। यहां तक की इस किले के बाथरूम से भी आपको हरे-भरे नजारे देखने को आसानी से मिल जायेंगे।
किले का शांत वातावरण और अंदर लगी भव्य तस्वीरें देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है।
वर्तमान समय यह पैलेस एक प्रमुख विरासत स्थल बन चुका है और शादियों व सम्मेलनों के लिए एक उचित स्थान है।
देश के मशहूर टाइगर रि़जर्व में से एक सरिस्का टाइगर रिजर्व भी यही पर स्थित है। यह टाइगर रिजर्व कभी अलवर के शाही परिवार का शिकारगाह हुआ करता था। दिल्ली-जयपुर मार्ग पर दिल्ली से 200 किमी. की दूरी पर स्थित सरिस्का नेशनल पार्क 866 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। इस पार्क में बंगाल के शाही टाइगर, तेंदुआ, सांभर, बिज्जू, मगरमच्छ और विभिन्न प्रजातियों के पक्षी पाये जाते है।
नीमराना से कुछ ही दूरी पर अलवर जिले में ‘केसरोली’ नामक एक प्राचीन स्थल है। यह घूमने के लिए एक शानदार जगह है। इसके अलावा अगर आप बोटिंग के शौकीन हैं तो केसरोली से सिलीसेढ लेक भी जा सकते हैं, जो बोटिंग के लिए काफी लोकप्रिय है